चुनावी भोंपू
पाँच साल बाद
फिर से ये भोंपू की आवाज ..
आज भी
उतनी ही मधुर है ..
पार्टी का नाम लेकर
विजयी बनायें ,
विजयी बनायें के नारे
कितने प्यारे
और मधुर स्वर में
वातावरण में गुंजायमान हो रहे हैं ...
धीमे स्वर में
पिछली चूकों पर माफ़ी
और नये वादों की सूची
पढ़ी जा रही है
बड़े अपनेपन के साथ |
ये ढोर - डंगरों की तरह
खदेड़ कर लायी गयी
भोली जनता ,
जो ताली बजा रही है
हर वाक्य के अंत में ,
बड़ी धैर्यवान है
और आशावान भी |
ये माफ़ कर चुकी है
पुराने गुनाह
और
आज के वादों की
सच्चाई भी बखूबी जानती है ..
फिर भी शोर तो सुनिये
करतल ध्वनि का ...
प्रवेश
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