Wednesday, October 5, 2022

छोटी सी कविता - साँझ ढले

साँझ हुई 
मेहमान आये,
भेज दिया बेटा   
मुर्गा लाने को। 
परन्तु भेज न सके उसको 
क्यारी से धनिया लाने,
क्योंकि 
साँझ ढले 
पौंधों को छेड़ा नहीं करते। ~ प्रवेश ~ 

छोटी सी कविता - दौड़

हर माता - पिता चाहते हैं 

उनकी संतान  आगे निकले 

हर दौड़ में उनसे, 

सिवाय एक दौड़ के 

दुनिया छोड़ने की दौड़ !! ~ प्रवेश  ~   


Friday, July 15, 2022

जीवन ने दोनों सिखलाया
रोना भी - मुस्काना भी
बाधाओं से लड़ते जाना
हँस - हँस ग़म पी जाना भी ।

जीवन ने दोनों सिखलाया 
अपना भी - पराया भी 
मोह के बंधन तोड़ के उड़ना 
घेर के लाये माया भी। 

जीवन ने ये भी सिखलाया 
समय तेरा तो सब तेरे 
तेरा समय गुज़र जाये तो 
साथ न देगा साया भी। ~ प्रवेश ~