क्या करुल ऊ पहाड़ जाबेर
क्या करुल आब ऊ पहाड़ जाबेर |
येती घर भतेर पाणिक नल लाग रो
वोति पाणि को सारौल गाड़ जाबेर |
क्या करुल आब ऊ पहाड़ जाबेर ||
गैसक सिलेंडर लै टैम पारि ऐ जांछ
वोति लकड़ को ल्याल वोतुक टाड़ जाबेर |
क्या करुल आब ऊ पहाड़ जाबेर ||
ना खुट तिणन , ना कच्यार लागुन
कमर पीड़ लै भलि छौ आड़ पाबेर |
क्या करुल आब ऊ पहाड़ जाबेर ||
पैदल हिटणम आब घुन दुखनी
पराण नहे जिल ऊ ठाड़ जाबेर |
क्या करुल आब ऊ पहाड़ जाबेर ||
ना सासुक कचकचाट, ना सौरुक रिसाँण
चैन पारि छू पहाड़ बे टाड़ आबेर |
क्या करुल आब ऊ पहाड़ जाबेर ||
चेलि पारि बुढई सासु भूतिणि हबे लाग रे
च्यौल लै नाचुन हरो मसांण लाग बेर |
पूजूंण तो पडौल ऊ पहाड़ जाबेर ||
बकाई हम क्या करुल ऊ पहाड़ जाबेर ||
शब्दार्थ :
सारौल = ढोयेगा
ल्याल = लायेगा
टाड = दूर
तिणन = फटना
कच्यार = कीचड़
हिटणम = चलने में
घुन = घुटने
ठाड़ = चढ़ाई
रिसाँण = गुस्सा होना , डाँटना
मसांण = भूत
प्रवेश
पहाड़ का सहे चित्र प्रस्तुत किया है प्रवेश आपने मे शादी आदि निमंत्रोनों पर वहा जाता रहता हूँ मेरा गाव चंपावत जिले मे एक अविकिसित छेत्र मे हैं औरतों को जब सिर पर सिलिंडर ले जाते देखता हूँ और दूर खोले से पानी लाते देखता हूँ तो बहुत कष्ट होता है ......ध्न्यवाद ...
ReplyDeletePandey ji... Pahad se palayan ki wajahon me ye bhi ek wajah hai...
ReplyDeletewajah hi pareshani h
ReplyDelete