रिश्तों की डोर
ये जो रिश्तों की डोर है
इधर भी एक छोर है
उधर भी एक छोर है
ये जो रिश्तों की डोर है ...
गर विश्वास है , मतैक्य है
और समझ है आपसी
तो आनंद की एक सांझ है
उम्मीद की एक भोर है
ये जो रिश्तों की डोर है ...
गर पैदा हो जाये
कोई ग़लतफ़हमी
और विश्वास उठ जाये तो
बड़ी नाजुक है , कमजोर है
ये जो रिश्तों की डोर है ...
"मैं" की गुंजाइश नहीं
जोर आजमाइश नहीं
"हम " का गर भाव है
डोर में बहुत जोर है
ये जो रिश्तों की डोर है
इधर भी एक छोर है
उधर भी एक छोर है ....
प्रवेश
लाजवाब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावनाएं....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|
ReplyDelete