मैंने तारे गिने
मैंने तारे गिने
बहुत सारे गिने |
शबनम की बरसती
बूँदें गिनी
दिल में दहकते
अंगारे गिने
मैंने तारे गिने |
चाँद के चेहरे पे
धब्बे गिने
आसमान के
किनारे गिने
मैंने तारे गिने |
बीते पल
सुहाने गिने
आँसू के बहते
धारे गिने
मैंने तारे गिने |
बिजली के तार पर
उल्लू गिने
गली के कुत्ते
आवारे गिने
मैंने तारे गिने |
हाथ फेरता रहा
अपने गालों पर
दाढ़ी के बाल भी
सारे गिने
मैंने तारे गिने |
विरह ने मुझे
गिनती सिखा दी
देखो प्रिये
मैंने क्या - क्या गिना !!
सब तुम्हारी यादों के
सहारे गिने |
मैंने तारे गिने
बहुत सारे गिने |
प्रवेश
बहुत बढ़िया...
ReplyDeletebahut badhiya prstuti
ReplyDeleteGyan Darpan
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