होली के गीत
आज तो बनते हैं
फिरंगी बोली के गीत ,
कौन लिखता है भला
अब होली के गीत !
सुनने की खातिर
कहाँ बनते हैं गाने ,
जो बनते हैं वो
केवल जिस्म दिखने ,
अब तो बनते हैं
घाघरा - चोली के गीत ,
कौन लिखता है भला
अब होली के गीत !
रंग - गुलाल और
पानी के गाने ,
कान्हा के संग
राधा रानी के गाने ,
गोपियों के संग
हमजोली के गीत ,
कौन लिखता है भला
अब होली के गीत !
मिलना कई
यारों से पुराने ,
वो घर - घर जाना
गुलाल लगाने ,
यारों की महफ़िल
हँसी - ठिठोली के गीत ,
कौन लिखता है भला
अब होली के गीत !
"प्रवेश"
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