आह्वान
चाहे हो भगवा , पीताम्बर
चाहे पहनी खाकी हो ,
चाहे खादीदारी हों
या महज लंगोट ही बाकी हो |
चाहे सभाएं करो नित्य ,
चाहे बन्दूक या कलम उठा लो ,
शांत रहो या रौद्र बनो ,
कैसे भी हो , देश बचा लो |
यज्ञ कराओ , हवन कराओ ,
गद्दारों का दहन कराओ ,
भ्रष्टों की आहुति चढ़ाकर,
अपना प्यारा वतन बचाओ |
एक नहीं , सब तैयार हों ,
क्यों मुहूर्त का इन्तजार हो ,
हफ्ते में दिन सात ही क्यों ,
आठवाँ दिन "क्रांतिवार " हो |
"प्रवेश"
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