अन्नागिरी
बदल रहा इतिहास
जुड़ रहा एक नया पन्ना,
गाँधी के अवतार में
अवतरित हुए श्री अन्ना |
अन्न ना ग्रहण किया
आमरण का प्रण लिया ,
जागृति की लहर फैली
हुआ हर कोई चौकन्ना |
सुनी जाती गर जन - जन की
क्यों आती नौबत अनशन की ,
बहुत निचोड़े जा चुके हैं
जैसे मशीन में गन्ना |
माँ भारती के लाल आये
दूध पीते बाल आये ,
पालकी छोड़ कहार भागे,
घोड़ी छोड़ दौड़े बन्ना |
लड़ने बिना ही ढाल आये
ले हाथ में मशाल आये,
भ्रष्टाचार का अंत और
परिवर्तन की तमन्ना |
"प्रवेश"
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