ग़ुरबत
सब कुछ दाँव पर लगा बैठे ,
थोडा बहुत पाने को ,
कुछ भी हासिल कर न पाये,
सब कुछ भी खोने से |
दास्तान - ए - ग़ुरबत
बयाँ भी कैसे करें,
पसीजते नहीं अब दिल ,
फूट -फूट कर रोने से |
शेर के साथ - साथ
सियार भी शिकारी हो गए ,
जान के लाले पड़े हैं ,
भागते मृगछौने से |
जहर पीकर सोते हैं तो
आँख खुल जाती है सुबह ,
आँख नहीं खुलती है ,
दवा पीकर सोने से |
भ्रष्ट शासन में हमारी
हालत सुधर सकती नहीं ,
चाहे कर लो कोशिशें ,
खेतों में सोना बोने से |
"प्रवेश"
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