सूँघे भी ना
सूखी घास को
मगर घुटने टेक दे
जुआ देखकर
और धौंस जमाये
अधखिले सींगों की,
तो नहीं पालता
कोई भी किसान
ऐसे धरती के बोझ को,
और खुशामद नहीं करता
बिना दूध वाली
नखराली गाय की ,
दूध देने वाली
गाय को ही
लात मारने का हक है ।
" प्रवेश "
सूखी घास को
मगर घुटने टेक दे
जुआ देखकर
और धौंस जमाये
अधखिले सींगों की,
तो नहीं पालता
कोई भी किसान
ऐसे धरती के बोझ को,
और खुशामद नहीं करता
बिना दूध वाली
नखराली गाय की ,
दूध देने वाली
गाय को ही
लात मारने का हक है ।
" प्रवेश "
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