सोचा तुमसे सीखेंगे दिल जीतने का हुनर ।
अफ़सोस ..तुम्हें दिल से हराना नहीं आता ।।
अरे .... तुम खुद को शहंशाह समझते हो ।
सितम ढाना नहीं आता , रहम खाना नहीं आता !!
अपाहिज हो मरेगा शागिर्द तुम्हारा ।
तुम्हें उँगली पकड़कर चलाना नहीं आता ।।
जंगल से आयी है , बेहया है हवा ।
इसे सलीके से पर्दा उठाना नहीं आता ।।
" प्रवेश "
अफ़सोस ..तुम्हें दिल से हराना नहीं आता ।।
अरे .... तुम खुद को शहंशाह समझते हो ।
सितम ढाना नहीं आता , रहम खाना नहीं आता !!
अपाहिज हो मरेगा शागिर्द तुम्हारा ।
तुम्हें उँगली पकड़कर चलाना नहीं आता ।।
इसे सलीके से पर्दा उठाना नहीं आता ।।
" प्रवेश "
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