छोरा हुआ है
एक ओर गला फाड़ - फाड़कर
महिलायें मंगल गीत गायेंगी,
और नये मेहमान के आने की
थाली बजाकर
खबर कर दी जायेगी
पूरे गाँव को ।
और दूसरी ओर
बोतलें खुलेंगी
पार्टी होगी
नामकरण तक लगातार ,
और दो बकरे कटेंगे
नामकरण के अगले दिन
पूरा गाँव दावत लेगा ।
ठीक दो साल पहले का
सन्नाटा अब तक याद है
जब मुँह लटकाकर
दादी ने कहा था
"छोरी हुई है ।"
" प्रवेश "
एक ओर गला फाड़ - फाड़कर
महिलायें मंगल गीत गायेंगी,
और नये मेहमान के आने की
थाली बजाकर
खबर कर दी जायेगी
पूरे गाँव को ।
और दूसरी ओर
बोतलें खुलेंगी
पार्टी होगी
नामकरण तक लगातार ,
और दो बकरे कटेंगे
नामकरण के अगले दिन
पूरा गाँव दावत लेगा ।
ठीक दो साल पहले का
सन्नाटा अब तक याद है
जब मुँह लटकाकर
दादी ने कहा था
"छोरी हुई है ।"
" प्रवेश "
यही तो विडम्बना है!
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