जश्न भी है
और प्रश्न भी ,
कर्ज से दबकर
दिखावा क्यों ?
तथाकथित बिरादरी
और चटोरे समाज की
पर्दा पड़ी आँखों के सामने
अनदेखी नाक बचाने के लिये
ताउम्र का एहसान
और बच्चों के लिये
देनदारी से भरी विरासत
दिखावटी जश्न के बीच
जेहन में रहती तो है ,
फिर दिखावा क्यों ?
" प्रवेश "
और प्रश्न भी ,
कर्ज से दबकर
दिखावा क्यों ?
तथाकथित बिरादरी
और चटोरे समाज की
पर्दा पड़ी आँखों के सामने
अनदेखी नाक बचाने के लिये
ताउम्र का एहसान
और बच्चों के लिये
देनदारी से भरी विरासत
दिखावटी जश्न के बीच
जेहन में रहती तो है ,
फिर दिखावा क्यों ?
" प्रवेश "
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