बेझिझक दे दो , सोचते क्यों हो !
खरीदारों को दिल बेचते क्यों हो !!
क्यों हाथ - पाँव फूलते हैं , नजरें मिलाने से !
बहने दो पसीना , पोंछते क्यों हो !!
ये लेन - देन दिलों का वक़्त पर कर लेते ।
इस उम्र में बालों को नोंचते क्यों हो !!
जिस्म पर ही जोर चलता है उम्र का ।
बेवजह बुढ़ापे को कोसते क्यों हो !!
" प्रवेश "
खरीदारों को दिल बेचते क्यों हो !!
क्यों हाथ - पाँव फूलते हैं , नजरें मिलाने से !
बहने दो पसीना , पोंछते क्यों हो !!
ये लेन - देन दिलों का वक़्त पर कर लेते ।
इस उम्र में बालों को नोंचते क्यों हो !!
जिस्म पर ही जोर चलता है उम्र का ।
बेवजह बुढ़ापे को कोसते क्यों हो !!
" प्रवेश "
No comments:
Post a Comment