कल गम था कि गम कम नहीं ।
आज गम है कि कोई गम नहीं ।।
सुधर गया वो सितमगर कैसे !
या ढाने लायक कोई सितम नहीं ।।
दिल वीरां है , हँसी लब पे है ।
ये और बात है आँख नम नहीं ।।
मुझे यकीं है वो आसान मौत बख्शेगा ।
मेरा महबूब इतना भी बेरहम नहीं ।।
लगता है ज़मीर मर गया शायद ।
ये कैसा खून है , जो खौलकर गरम नहीं ।।
" प्रवेश "
आज गम है कि कोई गम नहीं ।।
सुधर गया वो सितमगर कैसे !
या ढाने लायक कोई सितम नहीं ।।
दिल वीरां है , हँसी लब पे है ।
ये और बात है आँख नम नहीं ।।
मुझे यकीं है वो आसान मौत बख्शेगा ।
मेरा महबूब इतना भी बेरहम नहीं ।।
लगता है ज़मीर मर गया शायद ।
ये कैसा खून है , जो खौलकर गरम नहीं ।।
" प्रवेश "
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