आँसू
यूं ही नहीं आते
आँसू किसी बहाने से ।
ये कुछ खोने से भी आते हैं
और आ जाते हैं कुछ पाने से ।
किसी बिछड़े के मिल जाने से ,
किसी अपने के बिछड़ जाने से ।
कभी मोती , कभी आँख का पानी
कई नाम मिले हैं आँसुओं को ज़माने से ।
ये हर आँख में बसते हैं
परहेज नहीं नये - पुराने से ।
छलक पड़ते हैं सूरमां की आँखों से भी
महज दो पलकों को आपस में मिलाने से ।
"प्रवेश "
आँसू किसी बहाने से ।
ये कुछ खोने से भी आते हैं
और आ जाते हैं कुछ पाने से ।
किसी बिछड़े के मिल जाने से ,
किसी अपने के बिछड़ जाने से ।
कभी मोती , कभी आँख का पानी
कई नाम मिले हैं आँसुओं को ज़माने से ।
ये हर आँख में बसते हैं
परहेज नहीं नये - पुराने से ।
छलक पड़ते हैं सूरमां की आँखों से भी
महज दो पलकों को आपस में मिलाने से ।
"प्रवेश "
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