भूख बनाम दोस्ती
दो बछड़े ,
नन्हे मगर पक्के दोस्त ,
एक साथ घूमते सारा बाजार ,
तब पेट भर जाता था
महज केले के छिलकों से ।
अब बछड़े , बछड़े ना रहे
सांड हो गये ,
दो हिस्सों में बँट गया बाजार ,
बँट गये इलाके ,
अब हिम्मत भी नहीं जुटती
एक - दूसरे की सरहद छूने की ।
कोई बड़ी तो नहीं
किन्तु ख़ास है
इस विभाजन की वजह ।
बाजार न बढ़ा
बस भूख बढ़ गयी ।
" प्रवेश "
दो बछड़े ,
नन्हे मगर पक्के दोस्त ,
एक साथ घूमते सारा बाजार ,
तब पेट भर जाता था
महज केले के छिलकों से ।
अब बछड़े , बछड़े ना रहे
सांड हो गये ,
दो हिस्सों में बँट गया बाजार ,
बँट गये इलाके ,
अब हिम्मत भी नहीं जुटती
एक - दूसरे की सरहद छूने की ।
कोई बड़ी तो नहीं
किन्तु ख़ास है
इस विभाजन की वजह ।
बाजार न बढ़ा
बस भूख बढ़ गयी ।
" प्रवेश "
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