तुम आये
कोई करिश्मा मेरे हमसफ़र हो गया ।
तुम आये, मकान मेरा घर हो गया ।।
खामोश हो गया है चीखता सन्नाटा ।
उसे तुम्हारी मौजूदगी का डर हो गया ।।
तन्हां रहती थीं महफ़िलें तुम बिन ।
खुशनुमा फिर से दर - ब - दर हो गया ।।
बुत भी करने लगे हैं गुफ्तगू सी ।
जाने ऐसा क्या असर हो गया ।।
हांसिये पर आ गया दौर - ए - गुमनामी ।
मेरी पहचान का सारा शहर हो गया ।।
"प्रवेश "
कोई करिश्मा मेरे हमसफ़र हो गया ।
तुम आये, मकान मेरा घर हो गया ।।
खामोश हो गया है चीखता सन्नाटा ।
उसे तुम्हारी मौजूदगी का डर हो गया ।।
तन्हां रहती थीं महफ़िलें तुम बिन ।
खुशनुमा फिर से दर - ब - दर हो गया ।।
बुत भी करने लगे हैं गुफ्तगू सी ।
जाने ऐसा क्या असर हो गया ।।
हांसिये पर आ गया दौर - ए - गुमनामी ।
मेरी पहचान का सारा शहर हो गया ।।
"प्रवेश "
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