वाह री मेरी पिलानी
वाह री मेरी पिलानी
सड़क में गड्ढे ही गड्ढे
गड्ढों में पानी ही पानी
वाह री मेरी पिलानी |
यूँ तो बहुत कुछ है ,
सभाओं में बोलने के लिए |
एक ही बारिश काफी है ,
पोल खोलने के लिए |
सभाओं में सुनी जाती है
कर्णप्रिय और अमृत बानी |
वाह री मेरी पिलानी |
सड़क में गाड़ियों से
गड्ढों की संख्या ज्यादा है |
अगले चुनाव से पहले
सड़क सुधारने का भी वादा है |
कथनी से करनी की
है रंजिश बड़ी पुरानी |
वाह री मेरी पिलानी |
कहीं कूड़ा , कहीं कीचड
ख़बरें भी हैं अख़बारों में |
साफ़- सफाई के अनगिनत
फायदे भी हैं इश्तहारों में |
ये सब सच है, मिथ्या नहीं ,
समझें न मनगढ़ंत कहानी |
वाह री वाह , वाह री वाह ,
वाह री मेरी पिलानी |
"प्रवेश "
No comments:
Post a Comment