रुक जाना नहीं
उठो , जागो , आगे बढ़ो
अब कदम रुकने पाये ना ,
बेईमान ठेकेदारों के सम्मुख
मस्तक ये झुकने पाये ना |
अप्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति है ,
सब जानकर यदि मौन हो ,
तंत्र को बुरा या भला
कहने वाले फिर कौन हो !
न बंद नयनों को करो ,
पर जोश पर लगाम हो ,
सजग हर इन्द्री रहे ,
मन को नहीं विश्राम हो |
कुछ न हो , एक जुनूं हो
अन्याय के प्रतिरोध का ,
सच्ची लगन सच की तरफ ,
न भाव हो प्रतिशोध का |
संघर्ष आज का तुम्हारा
व्यर्थ जायेगा नहीं ,
ऐसे पावन यज्ञ का फिर
मुहूर्त आयेगा नहीं |
"प्रवेश "
No comments:
Post a Comment