Monday, July 8, 2013

मोक्ष नहीं है कुर्सी

भूल कर रहे हो
कुर्सी को मोक्ष समझ रहे हो ।

मोक्ष नहीं है कुर्सी ,
एक दोराहा है ।

एक रास्ता स्वर्ग को
और दूसरा नरक को जाता है ।
एक पुण्य की ओर
और दूसरा पाप की ओर  ले जाता है ।

तुम कुर्सी पर विराजमान हो ,
फैसला तुम्हारा ,
नरक को प्रस्थान या स्वर्ग को ?

कुर्सी ने तुम्हें जो शक्ति दी है
उससे तुम चाहो तो
आशीर्वाद और दुआएँ अर्जित कर लो
और चाहो तो श्राप और पाप ।

(सुना है कि कर्मों का फल
इसी जन्म में भुगतना होता है ,
 फिर भी - कल किसने देखा !!)
                                                " प्रवेश "



1 comment:

  1. सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !

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