दिल में कुछ अरमान बचाकर रख लो ।
मुट्ठी में तूफ़ान बचाकर रख लो ॥
भूख कहीं सब चावल- चावल ना कर दे ।
दो - एक मुट्ठी धान बचाकर रख लो ॥
माना कि आसानी से बिक जाता है ।
थोड़ा सा ईमान बचाकर रख लो ॥
मुझसे मत पूछो महफूज कहाँ होगी ।
रख पाओ तो जान बचाकर रख लो ॥
दर्द दूसरे का भी तो महसूस करो ।
पुतले में इंसान बचाकर रख लो ॥
छोड़ो दकियानूस दलीलें मजहब की ।
प्यारे ! हिन्दुस्तान बचाकर रख लो ॥
" प्रवेश "
मुट्ठी में तूफ़ान बचाकर रख लो ॥
भूख कहीं सब चावल- चावल ना कर दे ।
दो - एक मुट्ठी धान बचाकर रख लो ॥
माना कि आसानी से बिक जाता है ।
थोड़ा सा ईमान बचाकर रख लो ॥
मुझसे मत पूछो महफूज कहाँ होगी ।
रख पाओ तो जान बचाकर रख लो ॥
दर्द दूसरे का भी तो महसूस करो ।
पुतले में इंसान बचाकर रख लो ॥
छोड़ो दकियानूस दलीलें मजहब की ।
प्यारे ! हिन्दुस्तान बचाकर रख लो ॥
" प्रवेश "
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
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