तुमसे यारी हुई
बहुत उधारी हुई ।
जाने कितनों से पंगा लिया
कितनों से मारामारी हुई ।
बहुतों को सीने में दर्द हुआ
बहुतों को दिल की बीमारी हुई ।
गली - गली लेनदार हो गये
पहले न इतनी देनदारी हुई ।
आसमां पर तुम्हारे नखरे गये
जमीं पर मेरी जमींदारी हुई ।
" प्रवेश "
बहुत उधारी हुई ।
जाने कितनों से पंगा लिया
कितनों से मारामारी हुई ।
बहुतों को सीने में दर्द हुआ
बहुतों को दिल की बीमारी हुई ।
गली - गली लेनदार हो गये
पहले न इतनी देनदारी हुई ।
आसमां पर तुम्हारे नखरे गये
जमीं पर मेरी जमींदारी हुई ।
" प्रवेश "
बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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