एक झलक देखा था कभी
आज भी याद है वो सूरत जो अपनी सी लगी
सफ़ेद कमीज पर पक्के रंग की रगड़ की तरह ।। 1
जंगल में आग लगी है बहार आने पर
पेड़ों ने नयी कोपलें पहनी हैं मगर
खिजां में गिराये हुए पत्ते अभी सड़े ही नहीं ।। 2
फिकर न कर कि सर पे चाँदी है
नूर चेहरे पे बरक़रार है या ना
किसको फुर्सत है , खुद को छोड़ तेरी बात करे ।। 3
जल्दबाजी ना करो
थोड़ी सी हवा लगने दो
रिश्ते भी गर्म हैं , चूल्हे से अभी उतरे हैं ।। 4
एक चिता फिर तैयार है
वो आटा गूँधकर बैठे हैं
सियासत जमीर मार देती है | | 5
उड़ के जाने किधर से आया था
मेरी छत पर बरस गया कुछ पल
कभी भटके हुये खुशी दे जाते हैं | | 6
दूर जिस ठौर तक जाती है नज़र
रेत ही रेत बिछी है देखो
इसी जगह पर समंदर था कभी ॥ 7
सब अपनी जगह सही हैं मगर
जगह बदलते ही कुछ भी सही नहीं रहता
पेट में भूख , ख़्वाब आँखों में रहे ॥ 8
बड़ी गर्मी चढ़ी है सूरज को
साल भरपूर जवानी पर है
उम्र ढलते ही कंपकपायेगा ॥ 9
न पंखा , न कूलर , न ए सी को आराम है
बिजली जाते ही जैसे प्राण सूख जाते हैं
फुटपाथ पर है थोड़ी सी गर्मी बढ़ी हुई ॥ 10
मौत उठा ले जाती है चील बनकर
हर बार साँप बनकर नये बिल में घुस जाती है
रूह वाकई बड़ी ढीठ , बड़ी जिद्दी है ॥ 11
लम्हे थामे थे बारिशों के लिये
बारिशें आयीं और लौट गयी
तुम न आये तो फिर बरसने लगा ॥ 12
जिंदगी खेल धूप - छाओं का
मेरे हिस्से में धूप ही आयी
तुम पे छाया रहा हमेशा ही ॥ 13
तुझको पाने, कँटीली राहों पर
नंगे पैरों सफ़र किया मीलों ,
घर को लौटा तो हाथ खाली थे ॥ 14
आसमां पर है , हवा का संग है
कल तलक पैरों तले धूल हुआ करता था ,
तुम भी संगत बदल के देखो तो ॥ 15
तजुरबों की एक किताब है जिंदगी
हर पन्ने पर एक तजुरबा लिखा है
महज पन्ने उलटने से दिन नहीं उलटते || 16
वक़्त रहते सही रास्ता मिल जाये
तबाही , खुशहाली में बदल जाये
पानी और जवानी का आना शुभ हुआ || 17
चतुर योद्धा है मौत
लड़ती रहती है जिंदगी
आखिर मौत जीत जाती है ॥ 18
चाँद छोटा सा बड़ा प्यारा था
चाँद बढ़कर ही दागदार हुआ
बचपन जवानी से कहीं बेहतर है ॥ 19
चाँद छोटा सा बड़ा प्यारा था
चाँद बढ़कर ही दागदार हुआ
बेदाग होकर बढ़ना भी आसान नहीं ॥ 20
बदल - बदल जगह मुंडेरों पर
जगता रहा है चाँद शब भर
न जाने चोर है या चौकीदार ! 21!
आज भी याद है वो सूरत जो अपनी सी लगी
सफ़ेद कमीज पर पक्के रंग की रगड़ की तरह ।। 1
जंगल में आग लगी है बहार आने पर
पेड़ों ने नयी कोपलें पहनी हैं मगर
खिजां में गिराये हुए पत्ते अभी सड़े ही नहीं ।। 2
फिकर न कर कि सर पे चाँदी है
नूर चेहरे पे बरक़रार है या ना
किसको फुर्सत है , खुद को छोड़ तेरी बात करे ।। 3
जल्दबाजी ना करो
थोड़ी सी हवा लगने दो
रिश्ते भी गर्म हैं , चूल्हे से अभी उतरे हैं ।। 4
एक चिता फिर तैयार है
वो आटा गूँधकर बैठे हैं
सियासत जमीर मार देती है | | 5
उड़ के जाने किधर से आया था
मेरी छत पर बरस गया कुछ पल
कभी भटके हुये खुशी दे जाते हैं | | 6
दूर जिस ठौर तक जाती है नज़र
रेत ही रेत बिछी है देखो
इसी जगह पर समंदर था कभी ॥ 7
सब अपनी जगह सही हैं मगर
जगह बदलते ही कुछ भी सही नहीं रहता
पेट में भूख , ख़्वाब आँखों में रहे ॥ 8
बड़ी गर्मी चढ़ी है सूरज को
साल भरपूर जवानी पर है
उम्र ढलते ही कंपकपायेगा ॥ 9
न पंखा , न कूलर , न ए सी को आराम है
बिजली जाते ही जैसे प्राण सूख जाते हैं
फुटपाथ पर है थोड़ी सी गर्मी बढ़ी हुई ॥ 10
मौत उठा ले जाती है चील बनकर
हर बार साँप बनकर नये बिल में घुस जाती है
रूह वाकई बड़ी ढीठ , बड़ी जिद्दी है ॥ 11
लम्हे थामे थे बारिशों के लिये
बारिशें आयीं और लौट गयी
तुम न आये तो फिर बरसने लगा ॥ 12
जिंदगी खेल धूप - छाओं का
मेरे हिस्से में धूप ही आयी
तुम पे छाया रहा हमेशा ही ॥ 13
तुझको पाने, कँटीली राहों पर
नंगे पैरों सफ़र किया मीलों ,
घर को लौटा तो हाथ खाली थे ॥ 14
आसमां पर है , हवा का संग है
कल तलक पैरों तले धूल हुआ करता था ,
तुम भी संगत बदल के देखो तो ॥ 15
तजुरबों की एक किताब है जिंदगी
हर पन्ने पर एक तजुरबा लिखा है
महज पन्ने उलटने से दिन नहीं उलटते || 16
वक़्त रहते सही रास्ता मिल जाये
तबाही , खुशहाली में बदल जाये
पानी और जवानी का आना शुभ हुआ || 17
चतुर योद्धा है मौत
लड़ती रहती है जिंदगी
आखिर मौत जीत जाती है ॥ 18
चाँद छोटा सा बड़ा प्यारा था
चाँद बढ़कर ही दागदार हुआ
बचपन जवानी से कहीं बेहतर है ॥ 19
चाँद छोटा सा बड़ा प्यारा था
चाँद बढ़कर ही दागदार हुआ
बेदाग होकर बढ़ना भी आसान नहीं ॥ 20
बदल - बदल जगह मुंडेरों पर
जगता रहा है चाँद शब भर
न जाने चोर है या चौकीदार ! 21!
" प्रवेश "
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