अब वो जमाना लद गया
कुर्सी गयी और पद गया ।
अब वो जमाना लद गया ।।
मधुमक्खियाँ बेघर हो गयीं ।
आँधी में छत्ता - शहद गया ।।
सलाम नहीं करते एहसानमंद भी ।
रुतबा गया और कद गया ।।
भला वक़्त नश्तर चुभोता है दिल पर ।
गुजरा ऐंश गैर के सरहद गया ।।
अब हालत हो गयी परकटे सी ।
परवाज का दायरा बेहद गया ।।
अब वो जमाना लद गया ।।
" प्रवेश "
कुर्सी गयी और पद गया ।
अब वो जमाना लद गया ।।
मधुमक्खियाँ बेघर हो गयीं ।
आँधी में छत्ता - शहद गया ।।
सलाम नहीं करते एहसानमंद भी ।
रुतबा गया और कद गया ।।
भला वक़्त नश्तर चुभोता है दिल पर ।
गुजरा ऐंश गैर के सरहद गया ।।
अब हालत हो गयी परकटे सी ।
परवाज का दायरा बेहद गया ।।
अब वो जमाना लद गया ।।
" प्रवेश "
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