उसे तो बस लिखना है |
बिजली के झूलते तारो पर
तपती लू के अंगारों पर
नदिया के बहते धारों पर
उसे तो बस लिखना है |
पराजित या विजेता पर
अच्छे या बुरे नेता पर
मानवता के प्रणेता पर
उसे तो बस लिखना है |
जनता के उठते हाथों पर
जनता पर पड़ती लातों पर
सरकारी चुपड़ी बातों पर
उसे तो बस लिखना है |
संसद के संवादों पर
झूठे सरकारी वादों पर
गुणों पर और अपवादों पर
उसे तो बस लिखना है |
पेड़ों से लटकते झूलों पर
कागज़ पर जमती धूलों पर
आगे - पीछे की भूलों पर
उसे तो बस लिखना है |
कुदरत के अद्भुत रंगों पर
भूखे प्यासों और नंगों पर
पल - पल होते दंगों पर
उसे तो बस लिखना है |
दीवानों की चाहत पर
वफ़ा पर और बगावत पर
टूटे और दिल आहत पर
उसे तो बस लिखना है |
प्रेमीजन की बातों पर
धवल चाँदनी रातों पर
खुशियों पर , सौगातों पर
उसे तो बस लिखना है |
उस पर किसी का जोर नहीं
उसकी सोच का कोई छोर नहीं
वो पक्ष - विपक्ष की ओर नहीं
वो कवि है , रिश्वतखोर नहीं
उसे तो बस लिखना है |
"प्रवेश "
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