गर्व या ग्लानि !
ये ईंट
जिस पर दिया जलाकर 
दबा दी गयी है , 
जमीन की सतह से 
दो गज नीचे ,
जिस पर बनना है 
तुम्हारे सपनों का महल |
इसे ग्लानि हो 
इस बात की 
कि जब चर्चा हो 
आपके आशियाने की,
और इसकी खूबसूरती की ,
इसकी बनावट की ,
तब इसका
कोई जिक्र न होगा ,
इसके बलिदान को 
कोई याद नहीं करेगा |
या 
गर्व महसूस करे 
कि कल
जो आलीशान इमारत 
तैंयार होगी इसकी पीठ पर,
जिसकी सुन्दरता की कहानी 
इतिहास रचेगी ,
उसके चिरंजीवी होने का 
श्रेय इसी ईंट को मिलेगा |
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