सियासी गलियारे
बड़ी चहल - पहल है यहाँ ,
बड़े दिलकश नज़ारे हैं ,
ये सियासी गलियारे हैं |
यहाँ कोई दुश्मन नहीं ,
पर दोस्तों का खौफ है |
दुश्मनों से दोस्ती
पुराना सियासी शौक है |
जुबाँ पर मीठे बोल हैं ,
मगर दिल में अंगारे हैं ,
ये सियासी गलियारे हैं |
छूना चाहो गगन तो
ऊंचाइयों की हद नहीं |
नीचे गिरना चाहो तो
गड्ढों की भी सरहद नहीं |
अभी बुलंद, अगले ही पल
यहाँ गर्दिश में सितारे हैं |
ये सियासी गलियारे हैं |
यहाँ कोई जुर्म कभी ,
होता नहीं संगीन है |
घर का ही कानून है ,
तो शाम भी रंगीन है |
जनता पे लाठी तोड़ें जो ,
इस मुहल्ले के प्यारे हैं |
ये सियासी गलियारे हैं |
एक बार इन गलियों में
जो भी प्रवेश कर जाता है |
या राज दिलों पे करता है ,
या दिल से उतर जाता है |
कितने ही बिठाये गद्दी पर,
जाने कितने उतारे हैं |
ये सियासी गलियारे हैं |
"प्रवेश "
No comments:
Post a Comment