एक मोल की दुकान
कभी देखी है
एक मोल की दुकान !
यहाँ एक ही भाव मिलता है
हर एक सामान |
हर ग्राहक के लिए
एक ही भाव ,
भेद - भाव नहीं ,
सब एक समान |
लेकिन देखा है मैंने
यहाँ नियम बदलते ,
पल - पल हर घडी ,
इंसान दर इंसान |
ग्राहक दर ग्राहक
बदलता व्यवहार ,
किसी को दुत्कार
तो किसी को सम्मान |
चेहरा बदलते ही
भाव भी बदलते ,
लेकिन बाहर लिखा है ,
एक मोल की दुकान |
लोकतंत्र की तुलना दुकान से की गयी है |
"प्रवेश "
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