तुझे किसने हक़ दिया
तू अपने हक़ की बात कर ले?
जेब में लाईसेंस नहीं है
चुपचाप चालान भर ले।
मौत के कुएं में
गाड़ी चलाना आसान है
गर सड़क पर आ गया तो
आफ़त में जान है।
हजार जुर्माना है तो
तू आधे का इंतजाम कर ले
जेब में लाईसेंस नहीं है
चुपचाप चालान भर ले।
सड़क पर जो दिख रहा है
मत उसे गड्ढा समझ तू
कार्य प्रगति पर है प्यारे
कार्य का हिस्सा समझ तू।
मानकर इसको चुनौती
हिम्मत से पार कर ले
जेब में लाईसेंस नहीं है
चुपचाप चालान भर ले।
मत समझ चालान
तेरी हैसियत से ज्यादा भारी
कह रही सरकार
उसको है तुम्हारी जान प्यारी
अपने शुभचिंतक की
बात का तू मान धर ले
जेब में लाईसेंस नहीं है
चुपचाप चालान भर ले। ~प्रवेश~
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-09-2019) को "मोदी का अवतार" (चर्चा अंक- 3461) (चर्चा अंक- 3454) पर भी होगी।--
ReplyDeleteचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद आदरणीय
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 18 सितंबर 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बिलकुल ... जान का ख्याल सबसे पहले ...
ReplyDeleteप्रभावी रचना है ...
छिपे शब्दों में कराया व्यंग साथ ही सीख भी ।
ReplyDeleteसार्थक सृजन।
बहुत बढ़िया
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