Monday, January 6, 2020

जनता कभी नहीं देखेगी
उन्हें इज्जत भरी निगाह से

जो पत्थर मारें रखवालों को
देश को गाली देते हैं
जो जनता को पिटवाते हैं
जो दंगों को भड़काते हैं
जो देश में आग लगाते हैं
जो इस घर का तो खाते हैं
मगर गुण पड़ोसी के गाते हैं
भारत माता की जय कहने में
बेशर्मी से शरमाते हैं

उनको भी जो बाँट रहे हैं
इंसानों को जात में ,
बंदूकें जो बाँट रहे हैं
बच्चों को सौगात में ,
मूसलचंद बने फिरें
जो दाल में और भात में ,
माइक - कैमरा देखकर जो
नहीं रहें औकात में |

रोड़े जो अटकाते हैं
राष्ट्रोन्नति की राह में
राष्ट्र प्रथम जो नहीं मानते
पद प्रतिष्ठा की चाह में
आज ही उनको कर देना
चाहूंगा आगाह मैं
कभी नहीं  उठ पाएंगे वो
जनता की निगाह में | ~ प्रवेश ~







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