Saturday, June 23, 2018

तेरा साथ होने भर से

मैं जानता हूँ
कि अक्सर ऐसा नहीं होता
फिर भी
मुझे ऐसा लगता है
कि तेरा साथ होने भर से
जिंदगी आसान हो जायेगी ।

मैं जानता हूँ
वक़्त ग़ुलाम नहीं किसी का 
फिर भी
मुझे ऐसा लगता है
कि तेरा साथ होने भर से
मैं वक़्त को थाम लूँगा |

मैं जानता हूँ
जवानी सदा नहीं रहती
फिर भी
मुझे ऐसा लगता है
कि तेरा साथ होने भर से
मुझे बुढ़ापा नहीं आएगा |

मैं जानता हूँ
ज़रूरतें कभी ख़त्म नहीं होतीं
फिर भी
मुझे ऐसा लगता है
कि तेरा साथ होने भर से
मुझे किसी की ज़रूरत नहीं रहेगी | ~ प्रवेश ~ 

7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-06-2018) को "उपहार" (चर्चा अंक-3012) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

    ReplyDelete
  2. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 26/06/2018
    को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सराहना हेतु धन्यवाद महोदय

      Delete
  3. वाह बहुत खूबसूरत विचार।
    सुंदर रचना, तेरा साथ होने भर से

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब ...
    सच है किसी का साथ एक और एक ग्यारह का आभास तो दे ही जाता है ...
    सुन्दर रचना है ...

    ReplyDelete