सड़क में गड्ढों का भराव हो रहा है ।
शायद फिर चुनाव हो रहा है ॥
मिला - जुला है इन दिनों शहर का माहौल ।
कहीं मिठाइयाँ बँट रही हैं , कहीं पथराव हो रहा है ॥
चूंने लगी है वायदों की टंकी ।
वायदों का खूब रिसाव हो रहा है ॥
मतदाता जो कल तक था कौड़ियों के भाव ।
वही आज मोतियों के भाव हो रहा है ॥
चल रही हैं कहीं गोलियां दनादन ।
ज्यों राजपूतों की शादी में ढुकाव हो रहा है ॥
शरीफ हैं, समझते नहीं मशीनी धाँधली ।
बस बटन दबाने का चाव हो रहा है ॥
मुश्किल हैं इन दिनों हाल - ए - दिल जानना ।
किसका - कब - किससे - कैसा लगाव हो रहा है ॥
चिरंजीवी माँगों का पुलिंदा लेकर ।
फिर पार्टी मुख्यालय का घेराव हो रहा है ॥ ~ प्रवेश ~
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