Saturday, June 23, 2018

शायद फिर चुनाव हो रहा है

सड़क में गड्ढों का भराव हो रहा है ।
शायद फिर चुनाव हो रहा है ॥ 

मिला - जुला है इन दिनों शहर का माहौल । 
कहीं मिठाइयाँ बँट रही हैं , कहीं पथराव हो रहा है ॥ 

चूंने लगी है वायदों की टंकी । 
वायदों का खूब रिसाव हो रहा है ॥ 

मतदाता जो कल तक था कौड़ियों के भाव । 
वही आज मोतियों के भाव हो रहा है ॥ 

चल रही हैं कहीं गोलियां दनादन । 
ज्यों राजपूतों की शादी में ढुकाव हो रहा है ॥ 

शरीफ हैं, समझते नहीं मशीनी धाँधली । 
बस बटन दबाने का चाव हो रहा है ॥ 

मुश्किल हैं इन दिनों हाल - ए - दिल जानना । 
किसका - कब - किससे - कैसा लगाव हो रहा है ॥ 

चिरंजीवी माँगों का पुलिंदा लेकर । 
फिर पार्टी मुख्यालय का घेराव हो रहा है ॥ ~ प्रवेश ~ 




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