ये तू मुझसे क्या चाहता है !
दर्द देकर दवा चाहता है!!
बबूल पर आम नहीं लगते हैं।
दगा के बदले वफ़ा चाहता है!!
पैर अपनों की छाती पे रखकर
बता कौन सा आसमाँ चाहता है!!
भला कह, भला सुन, भला लिख, भला कर।
अपना अग़र तू भला चाहता है।।
कभी आईने से भी बतिया लिया कर।
खुद से कहाँ भागना चाहता है !! ~ प्रवेश ~
दर्द देकर दवा चाहता है!!
बबूल पर आम नहीं लगते हैं।
दगा के बदले वफ़ा चाहता है!!
पैर अपनों की छाती पे रखकर
बता कौन सा आसमाँ चाहता है!!
भला कह, भला सुन, भला लिख, भला कर।
अपना अग़र तू भला चाहता है।।
कभी आईने से भी बतिया लिया कर।
खुद से कहाँ भागना चाहता है !! ~ प्रवेश ~
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-07-2017) को "ब्लॉगरों की खबरें" (चर्चा अंक 2671) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
waah acche sher hain ..
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