चुप रह, बोल मत
जुबाँ अपनी खोल मत
होनी को झेल ले
बात ज्यादा तोल मत
कमा, खा, ऐंश कर
जेबें टटोल मत
ऊँचा सोच, नीचा सोच
ज़हर मगर घोल मत
सीधी कह, सच्ची कह
बातें कर गोल मत
या फिर
चुप रह बोल मत
जुबाँ अपनी खोल मत। ~ प्रवेश ~
जुबाँ अपनी खोल मत
होनी को झेल ले
बात ज्यादा तोल मत
कमा, खा, ऐंश कर
जेबें टटोल मत
ऊँचा सोच, नीचा सोच
ज़हर मगर घोल मत
सीधी कह, सच्ची कह
बातें कर गोल मत
या फिर
चुप रह बोल मत
जुबाँ अपनी खोल मत। ~ प्रवेश ~
छोटी बहर की लाजवाब ग़ज़ल ... तीखे से शेर जो चुभते हैं ... लाजवाब ...
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