मैं देखना चाहता हूँ
वह दिन जब
भूख उदर की
दर - दर भटके
उसे खाली न मिले
कोई भी पेट,
जो मिले कहीं
तो व्यवस्था हो
ताकि तुरंत दिया जा सके
भूख को पेट-निकाला !
वह दिन जब
भूख उदर की
दर - दर भटके
उसे खाली न मिले
कोई भी पेट,
जो मिले कहीं
तो व्यवस्था हो
ताकि तुरंत दिया जा सके
भूख को पेट-निकाला !
आप ये न समझें
कि मैं अमर होना चाहता हूँ,
यह आशावादिता है !! ~ प्रवेश~
कि मैं अमर होना चाहता हूँ,
यह आशावादिता है !! ~ प्रवेश~
No comments:
Post a Comment