ये अफरा - तफरी क्यों है !
पानी से खफा सफरी क्यों है !!
कहने और दिखाने को गाँव बहुत प्यारा है ।
ये मिजाज मगर शहरी क्यों है !!
आजादी की रिटायरमेंट की उम्र गयी ।
ये ख़ुशी अब भी सुनहरी क्यों है !!
जनता चीखती है और खामोश हो जाती है ।
ये सरकार निरी बहरी क्यों है !!
दो - दो कदम तो दोनों ही चले थे ।
ये खाई मगर इतनी गहरी क्यों है !!
रूह तो उड़ने को तैंयार है हरदम ।
पुतले में साँस आखिर ठहरी क्यों है !!
" प्रवेश "
पानी से खफा सफरी क्यों है !!
कहने और दिखाने को गाँव बहुत प्यारा है ।
ये मिजाज मगर शहरी क्यों है !!
आजादी की रिटायरमेंट की उम्र गयी ।
ये ख़ुशी अब भी सुनहरी क्यों है !!
जनता चीखती है और खामोश हो जाती है ।
ये सरकार निरी बहरी क्यों है !!
दो - दो कदम तो दोनों ही चले थे ।
ये खाई मगर इतनी गहरी क्यों है !!
रूह तो उड़ने को तैंयार है हरदम ।
पुतले में साँस आखिर ठहरी क्यों है !!
" प्रवेश "
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteLATEST POSTसपना और तुम