स्कूलों की भरमार
मेरे शहर में स्कूलों की भरमार है ।
पनवाड़ी की दुकान सी
दो इस गली में , दो उस गली में
एक सड़क के इस पार है
एक सड़क के उस पार है ।
अजी गजब हो गया
स्कूलों की भरमार है ।
शायद आपके शहर में भी हो ।
बारहवीं पास करो
और मास्टर बन जाओ
मगर नौकरी की एक शर्त है
घर - घर जाओ
बच्चे लाओ ।
एडमिशन कराओ
और नौकरी पर आ जाओ ।
जून की छुट्टियों में
फेरीवालों की तरह घूमते हैं
अपने स्कूल की खूबियाँ बताते हैं
जैसे अचार बेचने वाला
खूबियाँ बताता है
अलग - अलग तरह के अचार की
अलग - अलग खूबियाँ ।
ऑफर दिये जाते हैं
आम के अचार के साथ
करोंदे का अचार मुफ्त ,
दो बच्चों को भेजेंगे तो
एक की आधी फीस लगेगी ।
अब आप ही बताइये
ऑफर ठुकराये थोड़े ही जाते हैं । "प्रवेश "
स्कूल नहीं शिक्षा की दूकानें हैं।
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