इससे पहले कि दम निकले
इससे पहले कि दम निकले ,
नेकी की ओर कदम निकले ।
कोशिश करो , दे पाओ ख़ुशी ,
जिंदगी से सबकी गम निकले ।
मैं ना रहे , अहम् ना रहे ,
अगर निकले तो हम निकले ।
वादे तो बदनाम हैं टूटने के लिये ,
कभी ना टूटे वो कसम निकले ।
बसंत भी सदा नहीं रहता ,
सदाबहारी का वहम निकले ।
गर्दिशों में भी जोश कम ना हो ,
चोट पड़े तो लहू गरम निकले ।
फकीर ही नहीं , दाता भी बन ,
ज्यादा ना सही तो कम निकले ।
खुदा नहीं तू , खिलौना भर है ,
दिलोदिमाग से ये भरम निकले ।
प्रवेश
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ReplyDeleteकुछ जोड़ने की गुस्ताखी कर रहा हूँ, गुस्ताखी माफ़ .... अर्ज किया है :~~
ReplyDeleteइरादों की बुलंदी का गीत गाते थे जो,
दरअसल वो 'कोफ्ता-ए-दिल-नरम' निकले ।
शर्म-शर्म कहते थे, सच कुछ और था,
अजी वो हजरत तो बड़े ही बेशर्म निकले ।
इस हाथ दे उस हाथ लेना है यहाँ पर,
यहीं पर समूचा "हिसाबे-ए-करम" निकले ।
फकत नेकी-बदी जाएगी साथ हमारे,
और कुछ साथ जायेगा ये 'भरम' निकले ।
हमने हमेशा ही वफाओं के गीत गाये,
पर वो जालिम तो बेवफा सनम निकले ।
सिकन्दर दुनिया में ख़ाली हाथ आया,
उसका जनाजा देखा 'हाथ' ख़ाली निकले ।
पैदा होना, मरना फिर जनम लेना हुआ,
"मुकम्मल" मरने में कई जनम निकले ।
मरने से पहले मरना, ये बात है गलत,
भरपूर जीलें तब जाके कहीं दम निकले ।
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