अनपढ़ माँ ?
उसे मालूम है
कि विद्यालय कहाँ है
मगर बता नहीं सकती
कि किस दिशा में है ।
कभी वास्ता ही नहीं पड़ा,
मुझे छोड़ने जाती थी
मुख्य द्वार तक
और वहीँ से लौट आती थी ।
वो नहीं पढ़ सकती थी
मेरी अंकतालिका के अंक ,
दैनन्दिनी में लिखे निर्देश ,
चौराहे पर लगा साइनबोर्ड ,
टी. वी. स्क्रीन पर चलते समाचार ।
मगर वो पढ़ लेती है
मेरे माथे की शिकन,
मेरे चेहरे के भाव ,
मेरे ह्रदय के उदगार ,
मेरे मन की हर बात ।
अंगूठा लगाती है
अपने नाम की जगह
दस्तखत के लिये
मेरी अनपढ़ माँ ।
क्या वाकई अनपढ़ ?
प्रवेश
Realy Me Tarif e kabil...
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