संकर पीढ़ी
ना ही अंग्रेजी जानें ये
और ना हिंदी ही आती |
इनके मुख से निकलने में
दोनों भाषाएँ लजाती |
हिंदी में अंग्रेजी डालें
अंग्रेजी में हिंदी |
इसीलिए भाषा के विषय में
आती इनकी बिंदी |
शर्म नहीं महसूस करो
यदि अंग्रेजी का ज्ञान नहीं |
चुल्लू भर पानी में डूब मरो
यदि हिंदी पर अभिमान नहीं |
भले अनेक भाषाएँ सीखो
किन्तु अधूरा ज्ञान न हो |
तुम्हारी नादानी से किसी
भाषा का अपमान न हो |
कैसे साहित्य , समाज चढ़ेगा
विकास की नयी सीढ़ी |
संकर साहित्य , समाज रचेगी
आज की संकर पीढ़ी |
"प्रवेश "
सुन्दर अभिव्यक्ति प्रवेश भाई
ReplyDeleteक्या बात है उम्दा पंक्तियाँ .......
शर्म नहीं महसूस करो
यदि अंग्रेजी का ज्ञान नहीं
चुल्लू भर पानी में डूब मरो
यदि हिंदी पर अभिमान नहीं
सत्य ! प्रवेश सच्ची बात ....
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