Wednesday, June 12, 2019

कुछ दोस्तों के लिए

आईना अपने घर में कैसे लगा लेते हो
लगा भी लिया तो नज़र कैसे मिला लेते हो

तुम खुद भी जानते हो अपनी फ़रेबी फ़ितरत को
तुम तो वो हो जो ख़ुद को भी दग़ा देते हो

तुम्हारी ग़लती का एहसास करा दे कोई
ज़ोर से बोलकर उसको ही डरा देते हो

ज़मीर बेचकर जो दौलत कमा रहे हो तुम
बताओ तो सही किस - किस को हिस्सा देते हो | ~ प्रवेश ~


2 comments:

  1. अति सुंदर लेख

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  2. webinhindi
    आपने बहुत अच्छा वर्णन किया है इस कविता के लिए धन्यवाद।

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