आईना अपने घर में कैसे लगा लेते हो
लगा भी लिया तो नज़र कैसे मिला लेते हो
तुम खुद भी जानते हो अपनी फ़रेबी फ़ितरत को
तुम तो वो हो जो ख़ुद को भी दग़ा देते हो
तुम्हारी ग़लती का एहसास करा दे कोई
ज़ोर से बोलकर उसको ही डरा देते हो
ज़मीर बेचकर जो दौलत कमा रहे हो तुम
बताओ तो सही किस - किस को हिस्सा देते हो | ~ प्रवेश ~
लगा भी लिया तो नज़र कैसे मिला लेते हो
तुम खुद भी जानते हो अपनी फ़रेबी फ़ितरत को
तुम तो वो हो जो ख़ुद को भी दग़ा देते हो
तुम्हारी ग़लती का एहसास करा दे कोई
ज़ोर से बोलकर उसको ही डरा देते हो
ज़मीर बेचकर जो दौलत कमा रहे हो तुम
बताओ तो सही किस - किस को हिस्सा देते हो | ~ प्रवेश ~
अति सुंदर लेख
ReplyDeletewebinhindi
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छा वर्णन किया है इस कविता के लिए धन्यवाद।