बिजली - पानी - सड़क नहीं है
नेताजी को फरक नहीं है |
इनका घर है स्वर्ग से सुन्दर
गाँव सा कोई नरक नहीं है | *
तब बोतल - नोटों में बिक गयी
जनता अब क्यों भड़क रही है |
खून नसों में पानी हो गया
छाती फिर भी धड़क रही है |
धूल झोंकने फिर आयेंगे
बायीं वाली फड़क रही है |
इनसे करे सवाल जो कोई
बन्दा ऐसा कड़क नहीं है | ~ प्रवेश ~
*गाँव सा कोई नरक नहीं है = दूरस्थ गाँव जो
आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं |
नेताजी को फरक नहीं है |
इनका घर है स्वर्ग से सुन्दर
गाँव सा कोई नरक नहीं है | *
तब बोतल - नोटों में बिक गयी
जनता अब क्यों भड़क रही है |
खून नसों में पानी हो गया
छाती फिर भी धड़क रही है |
धूल झोंकने फिर आयेंगे
बायीं वाली फड़क रही है |
इनसे करे सवाल जो कोई
बन्दा ऐसा कड़क नहीं है | ~ प्रवेश ~
*गाँव सा कोई नरक नहीं है = दूरस्थ गाँव जो
आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं |
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