जीवन ने दोनों सिखलाया
रोना भी - मुस्काना भी
बाधाओं से लड़ते जाना
हँस - हँस ग़म पी जाना भी ।
रोना भी - मुस्काना भी
बाधाओं से लड़ते जाना
हँस - हँस ग़म पी जाना भी ।
जीवन ने दोनों सिखलाया
अपना भी - पराया भी
मोह के बंधन तोड़ के उड़ना
घेर के लाये माया भी।
जीवन ने ये भी सिखलाया
समय तेरा तो सब तेरे
तेरा समय गुज़र जाये तो
साथ न देगा साया भी। ~ प्रवेश ~
सुंदर सृजन
ReplyDelete