Tuesday, September 28, 2021

सूर्यदेव का दोष


सड़क जो बनी बरसात के बाद
रही साल भर चकाचक
खूब बटोरी वाहवाही
अगली बारिश आने तक।

अब फिर से बारिश आयी है
अपने संग जाने क्या लायी है
तारकोल से कंकड़ बिछड़ गए
कंकड़ -कंकड़ छितरायी है।

जो सड़क धूप में सही रही
बारिश आने पर टूटी है
ऐसा प्रकृति ने कोप किया
जनता की किस्मत फूटी है।

ठेकेदार - नेता के ऊपर
जनता का अकारण रोष है
सड़क टूटने में सारा
सूर्यदेव का दोष है।

न तपता सूरज तेजी से
न भाप समंदर से उठती
न बादल बनते- वर्षा होती
न बारिश में सड़क लुटती। ~प्रवेश~

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