Tuesday, December 31, 2013

मेरी माँ पढ़ लेती है मुझे

तुमने बाँचा है मुझे
मुझसे अलग होने पर ,
कभी मुझे 
मुझमें ही नहीं पढ़ पाये हो ,
तुमने इंतजार किया है 
मेरे छपने का
लिखे जाने का ,
पढ़े - लिखे हो 
लिखा पढ़ सकते हो 
वो भी उसी भाषा में 
जो तुमने पढ़ी है
पढ़ने के लिये |
मेरी माँ पढ़ लेती है मुझे
टेलीफोन पर ही ,
मेरा मौन भी
सही - सही उच्चरित कर लेती है ,
साक्षरों में शामिल नहीं है फिर भी,
लिखा जो नहीं पढ़ पाती | ~ प्रवेश ~

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