Wednesday, November 20, 2013

परछाई एक मिथ्या है

रात में
मैं सड़क पर चल रहा हूँ |
रास्ता दिखाने के लिये
नियत दूरी पर
पीली रोशनी उगलते
बिजली के खम्भे गड़े हैं |
रोशनी के पास
और रोशनी से दूर
जाता हुआ हर कदम
मेरा कद बदल रहा है |
परछाई एक मिथ्या है
एक भ्रम है
और प्रतीक है अज्ञान का,
जो बढ़ती जाती है
प्रकाश पुंज से दूर होने पर
और समाप्त हो जाती है
अगले खम्भे के नीचे |
आप परछाई मिटाने के लिये
बिजली गुल करने का
सुझाव भी दे सकते हैं |
आप तो आप हैं |
मैं दूरी समाप्त करना चाहूँगा
बिजली के खंभों के बीच की | ~ प्रवेश ~

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