शुभ दीपावली
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गुजरे सालों की तरह फिर से दिवाली आयेगी ।
फितरतन इस साल भी वैसे ही खाली जायेगी ।।
हावी हो जायेगी त्यौहार पर फिर मुफलिसी ।
बमुश्किल बच्चों की हालत संभाली जायेगी ।।
इस दफा भी बच्चों को बाजार ना ले जाऊँगा ।
सरेबाजार बेवजह इज्जत उछाली जायेगी ।।
हिम्मत नहीं जुटती है थोड़ी उधारी करने की ।
न चुका पाऊँ तो मेरी बच्ची उठा ली जायेगी ।।
कुछ रौशनी कर लूँगा उपले जलाकर आँगन में ।
कहने को अपनी भी दिवाली मना ली जायेगी ।।
" प्रवेश "
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