Wednesday, October 5, 2022

छोटी सी कविता - साँझ ढले

साँझ हुई 
मेहमान आये,
भेज दिया बेटा   
मुर्गा लाने को। 
परन्तु भेज न सके उसको 
क्यारी से धनिया लाने,
क्योंकि 
साँझ ढले 
पौंधों को छेड़ा नहीं करते। ~ प्रवेश ~ 

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