Saturday, April 25, 2020

घर के बाहर मौत खड़ी है

घर के बाहर मौत खड़ी है
कठिन परीक्षा की ये घड़ी है ।।

पैरों में जो पड़ी है बेड़ी 
हीरे - मोतियों से जड़ी है।।

पेट कहे ये दौर है मुश्किल
सिर को बस नाम की पड़ी है।।

होने को उम्मीद बहुत है
मगर भूख से कहाँ बड़ी है।।

आने वाला घर लौटेगा 
पटरी अभी नहीं उखड़ी है।।

मुझको उस पर ऐतबार है
उसने मुश्किल जंग लड़ी है।। ~प्रवेश~

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